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किसान की बेटी डेप्युटी कलेक्टर बनकर लौटी तो पूरा गांव पहुंच गया स्टेशन, खचाखच भर गया प्लेटफॉर्म, देखें तस्वीरें

Deepak Singh Sisodia

एमपीपीएससी सफलता की कहानी: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के परिणाम घोषित हो चुके हैं, जिसमें सतना जिले के एक छोटे से गांव की बेटी का चयन उप कलेक्टर के पद पर हुआ है। स्वाति सिंह, जो एक किसान की बेटी हैं, ने पूरे प्रदेश में सातवीं रैंक प्राप्त की है। सफलता के पश्चात जब वह लौटीं, तो पूरा गांव उन्हें स्वागत करने के लिए स्टेशन पर उपस्थित था।

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा परीक्षा 2022 के परिणाम घोषित किए हैं, जिसमें सतना जिले के एक छोटे से गांव दलदल से किसान की बेटी स्वाति सिंह ने डेप्युटी कलेक्टर का पद प्राप्त किया है। स्वाति ने प्रदेश में सातवीं रैंक हासिल की है। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन से यह उपलब्धि प्राप्त की है। स्वाति को तीन बार असफलता का सामना करने के बाद चौथे प्रयास में सफलता मिली है। जब वह लौटीं, तो स्टेशन पर उनका स्वागत करने के लिए पूरा गांव उपस्थित था।


गरीब किसान की बेटी स्वाति सिंह बनीं डिप्टी कलेक्टर: एमपीपीएससी में 7वीं रैंक

स्वाति सिंह बनीं डिप्टी कलेक्टर
स्वाति सिंह

वास्तव में, मध्य प्रदेश के सतना जिले के रामपुर बाघेलान के दलदल गांव की एक गरीब किसान की बेटी, स्वाति सिंह, डिप्टी कलेक्टर बन गई हैं। स्वाति ने एमपीपीएससी परीक्षा में 7वीं रैंक प्राप्त की है। स्वाति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीएमए स्कूल सतना से प्राप्त की है और उन्होंने भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित विषय लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की है।


स्वाति सिंह का सतना में भव्य स्वागत

स्वाति सिंह का भव्य स्वागत किया
स्वाति सिंह का भव्य स्वागत किया

स्वाति बुधवार की दोपहर 3 बजे ट्रेन से सतना पहुंचीं, जहां परिजनों, समाज के सदस्यों और शहर के युवाओं ने उनका भव्य स्वागत किया। स्वाति सिंह का स्वागत फूल मालाओं और बुके के साथ किया गया, जिससे वे अत्यंत प्रसन्न नजर आईं। लोग फूल मालाएं और ढोल नगाड़े लेकर स्टेशन पर उपस्थित थे, जिससे पूरा स्टेशन खचाखच भर गया।


किसान परिवार से डेप्युटी कलेक्टर बनीं स्वाति सिंह की प्रेरक कहानी

डेप्युटी कलेक्टर बनी स्वाति सिंह के पिता पुष्पराज सिंह एक किसान हैं, जबकि उनकी मां उर्मिला सिंह गृहणी हैं। स्वाति के छोटे भाई अंश सिंह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। स्वाति की बड़ी बहन का विवाह हो चुका है।


स्वाति सिंह: आत्मनिर्भरता और निरंतर प्रयास से मिली सफलता की कहानी

स्वाति सिंह ने बातचीत में बताया कि खाने-पीने और सोने के अलावा वह अपना सारा समय पढ़ाई को समर्पित करती रहीं। उन्होंने 2017 से एमपीपीएससी की तैयारी शुरू की और 8 महीने की कोचिंग भी ली, इसके बाद यूपीएससी की तैयारी की। एमपीपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने बिना कोचिंग के आत्मनिर्भर अध्ययन पर भरोसा किया। इस रैंक को प्राप्त करने में उन्हें तीन बार असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी निराशा नहीं महसूस की। लगातार प्रयासों के बाद चौथे प्रयास में उन्हें यह सफलता मिली।


स्वाति की सफलता की कहानी: व्यक्तित्व विकास और दृढ़ संकल्प का महत्व

स्वाति ने आगे बताया कि बचपन से विकसित होने वाली आपकी व्यक्तित्व ही अंतिम इंटरव्यू में मुख्य रूप से देखी जाती है। उन्होंने इस तैयारी के दौरान अपने कुछ गुरुजनों से मार्गदर्शन प्राप्त किया, जिससे उन्हें सफलता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण सहयोग मिला। डेप्युटी कलेक्टर बनने के बाद, वह शिक्षा और महिला सशक्तिकरण सहित अन्य समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करेंगी। स्वाति ने अभ्यर्थियों के लिए संदेश दिया है कि पूरी ऊर्जा के साथ मेहनत करें; सफलता भले ही देर से मिले, लेकिन अवश्य मिलेगी।



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