राष्ट्रपति चुनाव के बाद रिपब्लिन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार व्हाइट हाउस में बैठने के लिए तैयार है। अब तक की मतगणना के साथ ही लगभग स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप दूसरी और अंतिम बार राष्ट्रपति बनेंगे। इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। चुनाव से पहले से ही ट्रंप-वेंस के अभियान की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया था कि नई सरकार के पहले दिन ही एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिससे उन बच्चों को स्वत: ही नागरिकता नहीं मिल सकेगी, जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं। यानी अमेरिका में पैदा होने वाले बच्चों को नागरिकता नहीं मिल सकेगी, अगर उनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।
यह प्रस्ताव अवैध रूप से अमेरिका आने वाले आप्रवासियों के बच्चों को प्रभावित करेगा। साथ ही इसके तहत भविष्य में अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए यह भी शर्त होगी कि बच्चे के माता-पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी नागरिक (ग्रीन कार्ड धारक) होने चाहिए। इस प्रस्ताव पर खूब विवाद हुआ। कई आप्रवासी वकील इसे अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन मानते हैं। उनका कहना है कि अगर यह आदेश पारित होता है तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
अमेरिका में करीब 48 लाख भारतीय
इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए एक आप्रवासी वकील ने कहा, यह प्रस्ताव अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ट्रंप की इस गलत समझ को चुनौती दी जा सकती है। यह आदेश आप्रवासी भारतीय समुदाय के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। 2022 की अमेरिकी की जनगणना के मुताबिक, अमेरिका में करीब 48 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी हैं, जिनमें से 34 फीसदी (16 लाख) अमेरिका में जन्मे हैं। इनमें कोई भी अमेरिकी नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक नहीं है। अगर यह आदेश पारित होता है, तो भारतीय जोड़ों के बच्चे स्वत: ही अमेरिकी नागरिकता के पात्र नहीं होंगे।
प्रस्ताव से जटिल हो सकती है ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया
इससे पहले, एच-1बी वीजा पर काम करने करने वाले भारतीयों के लिए ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया अत्यंत धीमी रही है और अब इस प्रस्ताव से उनकी स्थिति और भी जटिल हो सकती है। इस प्रस्ताव के लागू होने से जो भारतीय परिवार ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा सूची में हैं, उनके बच्चों के लिए खुद ही नागरिकता का अवसर समाप्त हो जाएगा।
क्यों डर रहे हैं लोग
विदेश जाने के लिए अचानक उत्साह ट्रंप की 2016 की जीत के बाद भी देखी गई थी. हालांकि, इस बार रिपब्लिकन के दोबारा चुनाव के बाद विशेष रूप से विभाजनकारी अभियान चला, जिसमें एडिसन रिसर्च एग्जिट पोल के अनुसार लगभग तीन-चौथाई अमेरिकी मतदाताओं ने कहा कि उन्हें लगता है कि अमेरिकी लोकतंत्र खतरे में है. कई अमेरिकी इस बात से भी चिंतित हैं कि उनकी अध्यक्षता नस्ल, लिंग, बच्चों को क्या और कैसे पढ़ाया जाता है और प्रजनन अधिकार जैसे मुद्दों पर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच बड़ी दरार पैदा कर सकती है.
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