हिंदी समाचार संवाददाता। किसानों को अब खेतों में पराली जलाना भारी पडे़गा। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब केंद्र सरकार ने जुर्माना राशि में बढ़ोत्तरी कर दी है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम- 2024 प्रभावी होंगे।इसके तहत दो एकड़ से कम भूमि वाले किसान को 5000 रुपये का पर्यावरण क्षतिपूर्ति देना होगा। दो एकड़ या उससे अधिक लेकिन पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसान को 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसान को 30,000 रुपये से अधिक जुर्माने का भुगतान करना होगा।
इन राज्यों में ज्यादा हैं केस
पराली जलाने (Stubble Burning) के सबसे ज्यादा केस पंजाब और हरियाणा हैं. दोनों की सरकारें इसे रोकने में विफल रही हैं. जबकि दिल्ली सरकार ने ऐसी घटनाओं पर सौ फीसदी कंट्रोल कर लिया है. दिल्ली में सबसे पहले से पूसा डीकंपोजर के बारे में किसानों (Farmers) को बताया जा रहा है. ऐसे में यहां एक भी केस नहीं है. उधर, पंजाब में एक-एक दिन में 2800 केस तक पहुंच गए हैं.
इस साल कुल कितनी घटनाएं
केंद्र सरकार 15 नवंबर से पराली जलाने की घटनाओं की मॉनिटरिंग कर रही है. इस साल 1 नवंबर तक पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुल 20,729 जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. जिनमें से अकेले 15,065 पंजाब में हुई हैं. हरियाणा (Haryana) में 3038 जगहों पर फसल अवशेष जलाए जा चुके हैं.
किन जिलों का प्रशासन हुआ फेल
पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए आदेश हैं. उन्हें पराली प्रबंधन को लेकर जागरूक करना है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकारी अधिकारी सिर्फ कागजों में काम कर रहे हैं. जिलेवार बात करें तो देश में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटना पंजाब (Punjab) के तरनतारन में हुई है. यहां 15 सितंबर से 1 नवंबर तक 2385 जगहों पर फसल अवशेष जलाए गए हैं. जबकि इस मामले में दूसरे नंबर पर भी पंजाब का ही जिला है. अमृतसर में 1278 एवं फिरोजपुर में 1242 जगहों पर पराली जलाई गई है.
Comentarios